मुहर्रम कब हैं और क्यों मनाया जाता हैं ताजिये का महत्व और इतिहास

मुहर्रम का त्योंहार इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है | मुहर्रम के दस दिनों तक शिया मुस्लिमो द्वारा शोक मनाया जाता है और रोजा रखा जाता है। अंतिम दिन ताजिया निकाला जाता है। ताजिये के साथ साथ एक जुलूस निकलता है, जिसमें लोग खुद पीट पीटकर दु:ख मनाते हैं। इस वक्त इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के छोटे नवासे (नाती) इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत हुई थी।
mohram

मुहर्रम 2017 : मुहर्रम कब हैं|When is Muhrram ?

मुहर्रम इस्लामी पंचांग का पहला महीना होता है। मुहर्रम 1 अक्टूबर 2017 से 10 अक्टूबर तक मनाया जायेगा | मुस्लिम लोग दस दिनों तक रोजा रखते हैं | सुन्नी और शिया दोनों मुहर्रम मनाते हैं, हालाँकि दोनों के तरीकों में भिन्नता होती है। मुहर्रम के महीने को दूसरे सबसे पवित्र महीने के रूप में माना जाता है, केवल रमज़ान ही इसके ऊपर है।और आखरी दिन ताजिया निकला जाता हैं |

क्यों मनाया जाता हैं मुहर्रम ? जानिए पूरी कहानी

इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है। यह कोई त्योहार नहीं बल्कि मातम का दिन है। इमाम हुसैन अल्लाह के संदेश वाहक पैगंबर मोहम्मद के नाती थे। यह हिजरी संवत का प्रथम महीना है। मुहर्रम एक महीना है, जिसमें शिया मुस्लिम दस दिन तक इमाम हुसैन की याद में शोक मनाते हैं। इस्लाम की तारीख में पूरी दुनिया के मुसलमानों का प्रमुख नेता यानी खलीफा चुनने का रिवाज रहा है। ऐसे में पैगंबर मोहम्मद के बाद चार खलीफा चुने गए। लोग आपस में तय करके किसी योग्य व्यक्ति को प्रशासन, सुरक्षा इत्यादि के लिए खलीफा चुनते थे। जिन लोगों ने हजरत अली को अपना इमाम (धर्मगुरु) और खलीफा चुना, वे शियाने अली यानी शिया कहलाते हैं।
मोहम्मद साहब के मरने के लगभग 50 वर्ष बाद मक्का से दूर कर्बला के गवर्नर यजीद ने खुद को खलीफा घोषित कर दिया। कर्बला जिसे अब सीरिया के नाम से जाना जाता है। वहां यजीद इस्लाम का शहंशाह बनाना चाहता था। इसके लिए उसने आवाम में खौफ फैलाना शुरू कर दिया। लोगों को गुलाम बनाने के लिए वह उन पर अत्याचार करने लगा। यजीद पूरे अरब पर कब्जा करना चाहता था। लेकिन उसके सामने हजरत मुहम्मद के वारिस और उनके कुछ साथियों ने यजीद के सामने अपने घुटने नहीं टेके और जमकर मुकाबला किया।
अपने बीवी बच्चों की सलामती के लिए इमाम हुसैन मदीना से इराक की तरफ जा रहे थे तभी रास्ते में यजीद ने उन पर हमला कर दिया। इमाम हुसैन और उनके साथियों ने मिलकर यजीद की फौज से डटकर सामना किया। हुसैन लगभग 72 लोग थे और यजीद के पास 8000 से अधिक सैनिक थे लेकिन फिर भी उन लोगों ने यजीद की फौज के दांत खट्टे कर दिये थे।
हालांकि वे इस युद्ध में जीत नहीं सके और सभी शहीद हो गए। किसी तरह हुसैन इस लड़ाई में बच गए। यह लड़ाई मुहर्रम 2 से 6 तक चली। आखिरी दिन हुसैन ने अपने साथियों को कब्र में दफन किया। मुहर्रम के दसवें दिन जब हुसैन नमाज अदा कर रहे थे, तब यजीद ने धोखे से उन्हें भी मरवा दिया। उस दिन से मुहर्रम को इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

ताजिया क्या हैं : What is Taziya

Muharram tajiye
ये शिया मुस्लिमों का अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का एक तरीका है। मुहर्रम के दस दिनों तक बांस, लकड़ी का इस्तेमाल कर तरह-तरह से लोग इसे सजाते हैं और ग्यारहवें दिन इन्हें बाहर निकाला जाता है। लोग इन्हें सड़कों पर लेकर पूरे नगर में भ्रमण करते हैं सभी इस्लामिक लोग इसमें इकट्ठे होते हैं। इसके बाद इन्हें इमाम हुसैन की कब्र बनाकर दफनाया जाता है। एक तरीके से 60 हिजरी में शहीद हुए लोगों को एक तरह से यह श्रद्धांजलि दी जाती है
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अन्जुमन सज्जादिया गुलशने रजा हुसैनिया कमेटी रूदौलिया(BP)

Khoon Se Charag Deen Ka Jalaya Hussain Ne
Rasim Wafa Ko Khub Nibha Hussain Ne
Khud Ko Tu Ek Bond Bhi Pani Na Mill Saka
Karbala Ko Khoon Pilaya Hussain Ne
Aise Namaz Kon Parhye Ga Jahan Main
Sajda Kiya Tu Sar Na Uthaya Hussain Ne…!!!

Yunhi Nahi Jahan Main Charcha Hussain Ka
Kuch Dekh Kar Hua Hai Zamana Hussain Ka
Sar Dy Ke Do Jahan Ki Hukmat Kharidi
Mangha Para Yazeed Ko Sudda Hussain A.S Ka..!!!


Khuda Ki Rah Mein Sar Ko Kata Diya Tumne
Nabi Ky Deen Py Ghar Ko Luta Diya Tumne
Nishan e Kufr Ko Yaksar Mita Diya Tumne
Tumhe Khuda Bhi Tumhara Salam Kehta Hai..!!!

Imam Hussain Ke Naam
Naam Hussain Hashar Tak Abad Rahe Ga
Barbad Th Yazeed Wo Barbad Rahe Ga
Hussain Tere Khoon Ke Har Qatre Se
Gulshan Mere Eman Ka Abad Rahe Ga..!!!

Muharram 2017

मुहर्रम ग़ज़ल इन उर्दू  Muharram Gazal Sher E Shayri

दश्त ए बाला को अर्श का जीना बना दिया

दश्त-ए-बाला को अर्श का ज़ीना बाना दिया जंगल को मुहम्मद का मदीना बन्ना दीया
हर ज़र्रे को नजफ का नगीना बना दिया हुसैन तुम ने मरने को जीना बना दिया
मुहर्रम शायरी

शमशेर से मोला ने कहा चला मगेजर ऐसे

शमशेर से मोला ने कहा चला मगर ऐस
हो ख़ैबर-ओ-खंडक मैं भी हाल चाल मगर ऐसे
इस मेह्दान में रहे मौत की जाल थल मगर ऐसे
इस दश्त मैं रहे खून की दलदल ऐसे
तू जिस पे उत्तर गए मैं उस का वाली हूँ
वोह सिर्फ अली था मैं हुसैन इब्न ए अली हूँ
मुहर्रम कविता

Muharram Karbala and Imam Hussain Shayari in Urdu

मुहर्रम कर्बला और इमाम हुसैन शायरी
मुहर्रम कर्बला
मुहर्रम उल हरम
अफज़ल है कुल जहाँ से घराना हुसैन का
निबिओं का ताजदार है घराना हुसैन का
एक पल की थी बस हुकूमत यजीद की
सदियन हुसैन रा है जमाना रा हुसैन का
तरीका मिसाल असी कोई दोंड के लिए
सर तन से जुड़ा भी हो मगर मौत न आये
सोचन मैं सबर ओ राजा के जो मफिल
एक हुसैन रा अब अली रा जैन मैं आये
इश्क मैं किया लुटिया इश्क मैं किया बेचेन
अल ए नबी ने लिख दिया सारा नसीब रीत पर
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है
उस नवासे पर मुहम्मद मुस्तफा को नाज़ है
यूँ तू लाकोउन सजदे के मुखुक ने मगर
हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है

मुहर्रम शायरी इन हिंदी  Muharram Shayari in Hindi

Imam Hussain Shayari
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